प्रयागराज में गंगा और यमुना उफान पर हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड में हो रही भारी के चलते जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। माता टीला बांध से गंगा में करीब डेढ़ लाख क्यूसेक पानी छोड़े जिसका असर भी गंगा में दिख रहा है। संगम तट पर स्थित श्री बड़े हनुमान मंदिर जलमग्न हो गया है। इसके बाद बाढ़ का पानी और शहर के निचले इलाके में प्रवेश करने लगा है। तराई इलाकों में मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। लोग सुरक्षित स्थानों पर शरण ले रहे हैं। सिंचाई विभाग बाढ़ प्रखंड के अनुसार बृहस्पतिवार को गंगा का जलस्तर स्थिर रहा, जबकि यमुना में जल स्तर खिसकने की सूचना है।
गंगापार और यमुनापार के इलाकों में बाढ़ का भारी असर देखने को मिल रहा है। बदरा सोनौटी समेत कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। राहत और बचाव कार्य के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। करेली इलाके में ससुरखदेरी नदी का पानी भर गया है। कई मोहल्ले पूरी तरह से टापू में तब्दील हो गए हैं। बाढ़ की भयावहता बढ़ती ही जा रही है।
यमुना में बाढ़ आने के कारण तराई इलाकों में सब्जी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। बाढ़ में सब्जी की फसल समा न जाए इसको देखते हुए पानी आने के पहले ही किसानों ने सब्जी की खड़ी फसलों को उजाड़ दिया। सैकड़ों बीघे परवल की खेती समय के पहले ही उजाड़ दी गई। मेजा में बिहार के किसान आकर परवल की खेती करते हैं। यह सैकड़ों बीघे में बोई जाती है और कई जिलों के साथ दूसरे प्रदेश में भी आपूर्ति की जाती है। बाढ़ के चलते पूरी फसल चौपट हो गई।
कछार के निचले इलाकों में घुसा बाढ़ का पानी
गंगा और यमुना समेत अन्य नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। कछार के निचले इलाके की बस्तियों में बुधवार को बाढ़ का पानी घुस गया। यहां रहने वाले परिवारों ने सामान समेटना शुरू कर दिया। अगर जलस्तर में बढ़ोतरी की यही रफ्तार रही तो एक-दो दिनों में बड़ा इलाका बाढ़ की चपेट में आ जाएगा।
यमुना नदी के जलस्तर में बुधवार सुबह तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई। पिछले 24 घंटे में दो मीटर से भी अधिक जलस्तर बढ़ गया। इसका असर गंगा के कछारी इलाके में दिखा। पानी छोटा बघाड़ा में बस्ती तक पहुंच गया। गंगा की मूल धारा के करीब बने मकान पानी में घिर गए हैं।
झूंसी के बदरा-सोनौटी की बस्ती में पानी घुस गया तथा नाव चलने लगीं हैं। छोटा बघाड़ा, ठरेरिया आदि इलाके के लोग अपना सामान समेटने लगे हैं। छोटा बघाड़ा के विनोद कुमार, रमेश कुमार आदि का कहना था कि बाढ़ में एक तल पूरा डूब जाता है। ऐसे में जरूरी सामान वह दूसरी जगह ले जा रहे हैं। शेष सामान छत पर रख देंगे।
दारागंज में बांध के नीचे पानी भर गया है। निराला चौराहे के पास तो बांध की सड़क भी डूब गई है। इसकी वजह से कई दुकानदारों तथा अन्य लोगों को सामान हटाना पड़ा। बेली कछार, नेवादा, राजापुर आदि इलाकों के निचले इलाकों में नदियों का पानी घुसने लगा है।
बुधवार को दिन में यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी की रफ्तार कुछ कम हो गई लेकिन अब गंगा में पानी बढ़ने लगा है। गंगा के जलस्तर में करीब छह सेमी प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ोतरी दर्ज की गई। बताया जा रहा है कि अभी जलस्तर में बढ़ोतरी होगी।
जिला प्रशासन, सिंचाई विभाग समेत अन्य संबंधित विभागों के अफसरों ने बुधवार को संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। एसडीएम सदर अभिषेक सिंह का कहना है कि अभी नदियों का पानी बस्तियों में नहीं घुसा है लेकिन जल्द ही लोगों के बाढ़ की चपेट में आने की आशंका है। इसे देखते हुए आश्रय स्थल, राशन समेत अन्य जरूरी इंतजाम किए गए हैं।
बारिश में नाला उफनाया, करेली के सैकड़ों घरों में घुसा पानी
नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी के बीच बुधवार को हुई बारिश से शहरियों की मुसीबत और बढ़ गई। करेली में नाला जाम होने की वजह से सैकड़ों घरों में पानी घुस गया। सामान भी तैरने लगे। गौसनगर, गड्ढा कॉलोनी आदि इलाके में करीब 10 घंटे तक यह स्थिति बनी रही।
बुधवार की सुबह तेज बारिश हुई। इसके बाद जार्जटाउन, अल्लापुर, मलाकराज, करेली समेत कई इलाकों में जलभराव हो गया। मेडिकल कॉलेज चौराहे पर सीवर का ढक्कन ओवरफ्लो करने लगा। इससे आवागमन प्रभावित रहा। ज्यादातर जगहों से तो सुबह नौ बजे तक पानी निकल चुका था लेकिन करेली के बड़े इलाके में जलभराव से लोगों को काफी मुसीबत उठानी पड़ी।
गौसनगर, गड्ढा कॉलोनी, आशियाना, अइनुद्दीनपुर आदि मोहल्लों में कमर से ऊपर तक पानी भर गया। लोगों के आधा तल तक मकान डूबे। घरों में रखे सामान तैरने लगे। अइनुद्दीनपुर के शकूर, मोहम्मद इम्तियाज आदि का कहना था कि यह क्षेत्र पहली बार बारिश में इस तरह से डूबा है। नाले पर अवैध कब्जा हो गया है। इसके अलावा पाइपलाइन भी बेतरतीब तरीके से डाली जा रही है। इसकी वजह से पानी घंटों तक नहीं निकला।
गौसनगर के इमरान, आशियाना के जावेद, गड्ढा कॉलोनी के शानू आदि के भी घरों में पानी घुस गया था। उनका कहना था कि शाम को पानी निकला। इसके बाद पूरे घर में गंदगी रही। उनका कहना था कि इसकी वजह से कई सामान खराब हो गए।
आई एनडीआरएफ-सीडीआरएफ की टीम, प्रशासन अलर्ट
खतरे का निशान 84.734 मीटर है। गंगा और यमुना दोनाें ही नदियों का जलस्तर बुधवार देर रात तक 82 मीटर के करीब पहुंच गया था। फाफामऊ में भी गंगा का स्तर 80 मीटर के करीब पहुंच गया था। अफसरों का कहना है कि जलस्तर में बढ़ोतरी जारी रहने की उम्मीद है। ऐसे में पूरी तैयारी कर ली गई है। एनडीआरएफ और सीडीआरएफ की एक-एक टीम बुला ली गई है। एनडीआरएफ की टीम में 35 सदस्य हैं। पीएसी की दो कंपनी बुला ली गई है। जल पुलिस, नावों आदि के इंतजाम भी किए गए हैं।
अभी बस्तियों में नदियों का पानी नहीं घुसा है लेकिन जलस्तर बढ़ रहा है। इससे बाढ़ की आशंका है। इसे देखते हुए पूरी तैयार की गई है। राहत शिविरों में बाढ़ पीड़ितों के रहने की व्यवस्था की गई है। –
विनय कुमार सिंह, एडीएम वित्त एवं राजस्व
इंटरलाकिंग और नाली बनवाने की मांग
प्रीतम नगर के लोगों ने नगर आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर इंटरलॉकिंंग कराने तथा नाली बनवाने की मांग की है। लोगों का कहना था कि उनकी सड़क पर 20 मकान के अलावा स्कूल भी है। वह 15 वर्ष पहले बनी थी, जो अब खराब हो गई है। नाली जगह-जगह से टूट गई है। इसकी वजह से बारिश में जलभराव की समस्या रहती है। उनका कहना था कि ऑनलाइन शिकायत की गई थी। इसके बाद 29 जुलाई को अपर नगर आयुक्त ने निरीक्षण भी किया था लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ। लोगों ने सड़क के साथ नाली का निर्माण कराने की मांग की। मांगपत्र सौंपने वालों में अशोक कुमार सिंह, शिवप्रकाश जायसवाल आदि शामिल रहे।
3091 रुपये की होगी राशन किट
बाढ़ पीड़ितों के लिए राशन का पैकेट तैयार किया गया है। पूरा पैकेट 3091 रुपये का होगा। इसमें आटा, चावल, अरहर दाल, हल्दी, मिर्च, सब्जी मसाला, सरसों का तेल, नमक, आलू, लाई, भुना चना, गुड़, बिस्कुट, माचिस, मोम बत्ती, नहाने का साबुन आदि सामान शामिल है। बाढ़ पीड़ितों के लिए आश्रय स्थल भी बना लिए गए हैं। स्टैनली रोड पर महबूब अली इंटर कॉलेज, बघाड़ा में एनी बेसेंट, राजापुर में ऋषिकुल विद्यालय समेत सात आश्रय स्थल अभी से तैयार कर लिए गए हैं। इनमें गद्दे आदि रखवा दिए गए हैं। खाना के पैकेट, नाश्ता आदि के भी इंतजाम किए गए हैं।
मोरी और बख्शी बांध गेट बंद
प्रयागराज। मोरी और बख्शी बांध गेट बंद कर दिया गया है। बख्शी बांध गेट मंगलवार की रात में ही बंद कर दिया गया था। मोरी गेट बुधवार की सुबह करीब साढ़े सात बजे बंद किया गया। पानी निकालने के लिए पंप भी चला दिए गए हैं। जलकल के महाप्रबंधक कुमार गौरव ने बताया कि जरूरत के अनुसार पंप चलाए जाएंगे। उन्होंने अभी यमुना का जलस्तर चेतावनी स्तर से नीचे है। इसलिए अभी चाचर नाले के गेट को बंद नहीं किया गया है।
करेली के कई मुहल्लों में बाढ़ का पानी घुस जाने के कारण लोग पलायन करने के लिए मजबूर हो गए हैं।