Sunita Williams और बुच विलमोर को स्पेस स्टेशन पर अटकाने वाले बोईंग स्टारलाइनर को अब नासा अगला मिशन नहीं देगा. अगर देता तो बोईंग कंपनी को 2 बिलियन डॉलर्स यानी 16,786 करोड़ रुपए से ज्यादा का फायदा होता. पिछले मिशन के सही से नहीं होने की वजह से स्टारलाइनर का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो सकता है.
सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर को स्पेस स्टेशन पर फंसाने वाले स्टारलाइनर का मिशन कल अलसुबह पौने चार बजे के बाद से खत्म हो रहा है. स्टारलाइनर को स्पेस स्टेशन से अनडॉक करके धरती पर सामान सहित भेजा जा रहा है. सबकुछ सही रहा तो ये स्पेसक्राफ्ट 10 बजे तक धरती पर लैंड कर जाएगा.
तकनीकी खराबी की वजह से सुनीता और बुच इस स्पेसक्राफ्ट से धरती पर नहीं लौट पाए. पूरी दुनिया में इस अंतरिक्षयान की थू-थू हुई. अब पूरी संभावना बन रही है कि नासा बोईंग कंपनी के स्टारलाइनर का बाकी कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल कर दे. इससे बोईंग कंपनी को 2 बिलियन डॉलर्स यानी 16,786 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान होगा.
5 जून को स्टारलाइनर से स्पेस स्टेशन पहुंचे सुनीता और बुच को ये नहीं पता था कि इस खराबी वाले कैप्सूल की वजह से उन्हें स्पेस स्टेशन पर इतने दिन फंसे रहना पड़ेगा. तीन महीने हो चुके हैं. अभी पांच महीने और स्पेस स्टेशन पर रहना होगा. फरवरी में SpaceX के Crew-9 मिशन के तहत ड्रैगन क्रू कैप्सूल से ये दोनों वापस आएंगे.
क्या है स्टारलाइनर को स्पेस स्टेशन से अलग करने का प्लान?
भारतीय समयानुसार 6 सितंबर की देर रात करीब 3.34 बजे स्पेस स्टेशन से स्टारलाइनर कैप्सूल को अनडॉक किया जाएगा. यानी उसे वहां से अलग किया जाएगा. सबकुछ सही रहा तो सुबह 8.47 बजे यह अपने ब्रेकिंग रॉकेट्स को ऑन करेगा. एक मिनट तक रॉकेट ऑन रहेगा. इसके बाद पैराशूट की मदद से न्यू मेक्सिको के व्हाइट सैंड्स स्पेस हार्बर में इसकी एयर-बैग कुशंड लैंडिंग होगी. लैंडिंग का समय करीब 10 बजे का है.
नासा एक दशक से बोईंग और स्पेसएक्स के साथ कर रहा काम
नासा एक दशक से बोईंग और स्पेसएक्स के साथ काम कर रहा है. दोनों निजी कंपनियों को उसने स्पेसक्राफ्ट के साथ काम कर रहा है. दोनों निजी कंपनियों को उसने स्पेसक्राफ्ट बनाने को कहा था. बोईंग इस मामले में काफी ज्यादा पिछड़ गया. जबकि स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल सफलता के झंडे गाड़ रहा है. ड्रैगन कैप्सूल हर छह महीने पर स्पेस स्टेशन की रोटेशनल यात्रा करता है.
बोईंग को यह मिशन अगले साल अगस्त में करना था… लेकिन जल्दबाजी हुई
बोईंग की पहला ऑपरेशनल मिशन अगस्त 2025 में होना था. लेकिन नासा ने शेड्यूल पहले फिक्स किया. बोईंग ने भी मना नहीं किया. उसने जल्दबाजी में स्पेसक्राफ्ट भेजने का फैसला किया. जबकि इसके प्रोपल्शन सिस्टम और हीलियम टैंक में दिक्कत थी. अगर स्टारलाइनर सफलतापूर्वक बिना किसी दिक्कत के धरती पर लैंड हो जाता है, तो शायद नासा अगले मिशन के बारे में सोचे. लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं लगा रहा है.
जानिए स्टारलाइनर की पूरी कहानी…
बोईंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी कंपनी ने इस स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को बनाया है. नासा ने कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम के तहत बोईंग को यह स्पेसक्राफ्ट बनाने के लिए कहा. फंडिंग की. इस स्पेसक्राफ्ट का मॉडल पहली बार 2010 में पेश किया गया था. बोईंग का नासा के अपोलो, स्पेस शटल और स्पेस स्टेशन प्रोग्राम में पुराना रिश्ता था.
नासा ने अक्तूबर 2011 में बोईंग को स्पेसक्राफ्ट बनाने के लिए हरी झंडी दी. स्टारलाइनर बनते-बनते छह साल लग गए. 2017 में बना. 2019 तक उसके परीक्षण उड़ान होते रहे. लेकिन इन उड़ानों में कोई इंसान शामिल नहीं था. ये मानवरहित उड़ानें थीं.
पहली उड़ान में नहीं हो पाई थी स्पेस स्टेशन से डॉकिंग
पहली मानवरहित ऑर्बिटल फ्लाइट टेस्ट 20 दिसंबर 2019 को हुई. इस उड़ान में कोई इंसान नहीं था. लेकिन दो सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी की वजह से यह दूसरे ऑर्बिट में पहुंच गया. स्पेस स्टेशन से डॉकिंग हो नहीं पाई. दो दिन बाद न्यू मेक्सिको के व्हाइट सैंड्स मिसाइल रेंज में वापस लैंड हुआ.
दूसरी उड़ान में मैन्यूवरिंग और थ्रस्टर्स फेल हो गए
दूसरी मानवरहित उड़ान 6 अप्रैल 2020 को हुई. मकसद पुराने वाले उड़ान जैसा ही था. स्पेस स्टेशन तक जाना था. डॉकिंग करनी थी. इसके बाद वापस आना था. लेकिन लॉन्चिंग थोड़ी टालनी पड़ी. अगस्त 2021 में लॉन्चिंग करने की तैयारी हुई. लेकिन फिर स्पेसक्राफ्ट के 13 प्रोप्लशन वॉल्व में कुछ कमियां पाई गईं.
इसके बाद बोईंग ने पूरे स्पेसक्राफ्ट को फिर से बनाया. मई 2022 में ट्रायल उड़ान की तैयारी की गई. 19 मई 2022 को स्टारलाइनर ने फिर से उड़ान भरी. इस बार उसमें दो डमी एस्ट्रोनॉट्स बिठाए गए थे. यानी इंसानों जैसे दिखने वाले निर्जीव मॉडल. लेकिन ऑर्बिटल मैन्यूवरिंग और एटीट्यूड कंट्रोल सिस्टम थ्रस्टर्स फेल हो गए.
किसी तरह से 22 मई 2022 को स्टारलाइनर को स्पेस स्टेशन से जोड़ा गया. 25 मई 2022 को स्टारलाइनर स्पेस स्टेशन से वापस धरती पर आया. रीएंट्री के समय स्पेसक्राफ्ट से नेविगेशन सिस्टम खराब हुआ. कम्यूनिकेशन गड़बड़ा गया. साथ ही जीपीएस सैटेलाइट से कनेक्शन टूटा. लेकिन बोईंग ने कहा ये सामान्य है.
सुनीता वाली तीसरी उड़ान सात से टल रही थी…
तीसरी मानवयुक्त उड़ान साल 2017 में तय की गई थी. लेकिन कई वजहों से देरी होते-होते यह जुलाई 2023 तक आ गई. 1 जून 2023 को बोईंग ने कहा कि हम इस उड़ान को टाल रहे हैं. 7 अगस्त 2023 को कंपनी ने कहा कि स्पेसक्राफ्ट की सारी दिक्कतें खत्म हो चुकी हैं. अगली उड़ान 6 मई 2024 को तय की गई. यानी इस साल.
लेकिन फिर यह लॉन्चिंग टाली गई. क्योंकि एटलस रॉकेट में ऑक्सीजन वॉल्व में कुछ दिक्कत आ रही थी. इसके बाद स्पेसक्राफ्ट में हीलियम लीक होने की वजह से लॉन्चिंग टाली गई. आखिरकार 5 जून को सुनीता विलियम्स और बैरी बुच विलमोर इस स्पेसक्राफ्ट को लेकर अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए. 8 दिन बाद 13 जून को इन्हें वापस आना था लेकिन अब तक स्पेस स्टेशन पर ही फंसे हुए हैं.